गीत/नवगीत

लहु की अंतिम बूदों से….

लहु की अंतिम बूदों से, तेरे गुलशन को सींच चले।
वतन की आन बान खातिर, चढा कर अपना शीष चले॥

कसम तेरे आंचल की मां, कदम ना एक हटे पीछे।
गोलियां सीने पर खायी, दबा कर दर्द भरी चीखें ॥
चूम कर पावन माटी को, लिये तेरा आशीष चले….
वतन की आन बान खातिर, चढा कर अपना शीष चले…..

हौसला मुकने नही दिया, कारवां रुकने नही दिया।
धराशायी होकर भी मां, तिरंगा झुकने नही दिया॥
लगा कर प्राणों की बाजी, अटल कर तेरी जीत चले…..
वतन की आन बान खातिर, चढा कर अपना शीष चले…..

लहु गर और बचा होता, समय कुछ देर रुका होता।
जहां तक नजर पहुंच जाती, तिरंगा फहर गया होता॥
चुका कर कर्ज दूध का मां, लिये तेरा आशीष चले….
वतन की आन बान खातिर, चढा कर अपना शीष चले…..

सतीश बंसल

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.

One thought on “लहु की अंतिम बूदों से….

  • विजय कुमार सिंघल

    वाह वाह ! बहुत सुंदर और प्रेरक गीत !

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