कविता
इच्छाओं के समुन्द्र में गहराई है कुछ लापता |
आसमानों के आगे का भी पूछते हैं कुछ लोग रास्ता |
है परछाई की तरह अस्थाई अभी तो दास्ताँ |
राहें कहां बताती हैं मुसाफिर को अपना पता |
मेहनत और किस्मत बदल सकती है रूख तकदीर का |
आज़माईशें आसां कर देती हैं इन्साँ के लिए रास्ता जीत का |||
कामनी गुप्ता ***