लघुकथा

क्या आपने कभी ये सोचा है..?

क्या आपने कभी ये बात सोची है ..?

जिस दिन हमारी मौत होती है, हमारा पैसा
बैंक में ही रहा जाता है।
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जब हम जिंदा होते हैं तो हमें लगता है कि हमारे
पास खच॔ करने को पया॔प्त धन नहीं है।
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जब हम चले जाते है तब भी बहुत सा धन बिना खच॔
हुये बच जाता है.

जरा सोचिये जब हम अपने जीवन भर की कमाई को उही छोड़ कर चले जाते है तो क्या फायदा…? आपको एक कहानी सुनाता हु जरा धयान से पढ़िए गा,

एक समय की बात है देल्ही में रहने वाले एक धनी बयपारि की मौत एक सड़क दुर्घटने में हो गयी, वो अपनी
विधवा पत्नी के लिये बैंक में 1000 करोड़ से भी जयादा की धन दौलत छोड़ कर गया था। हाल में ही सादी हुई थी इसलिए उसके कोई बाल बच्चे भी नहीं हुए थे, फिर विधवा ने अपने जवान नोकर से शादी कर
ली। उस नोकर ने कहा –
“मैं हमेशा सोचता था कि मैं अपने मालिक के लिये काम करता हूँ अब समझ आया कि वो हमेशा मेरे लिये काम करता था।”

ये बस एक कहानी नहीं थी इस से हमे एक सिख मिलती है की,

जिंदगी में सबसे ज्यादा जरूरी है कि अधिक धन कमाने कि बजाय
अधिक जिंदगी जिया जाय।

अखिलेश पाण्डेय

नाम - अखिलेश पाण्डेय, मैं जिला गोपालगंज (बिहार) में स्थित एक छोटे से गांव मलपुरा का निवासी हु , मेरा जन्म (23/04/1993) पच्छिम बंगाल के नार्थ चोबीस परगना जिले के जगतदल में हुआ. मैंने अपनी पढाई वही से पूरी की. मोबाइल नंबर - 8468867248 ईमेल आईडी [email protected] [email protected] Website -http://pandeyjishyari.weebly.com/blog/1