गीतिका/ग़ज़ल

हर दिल में तूफां है, सीने में जलन सी है…

हर दिल में तूफां है, सीने में जलन सी है
नफरत की आंधी का, ये कैसा दौर चला
हर शख्स की खुद से भी,लगती अनबन सी है…

रुपया जब से जग का, भगवान हो गया है।
नेकी और मर्यादा, हो गयी दफन सी है…
हर दिल में तूफां है, सीने में जलन सी है…

हर और कुहासा है, हर और अंधेरे हैं।
बस्ती मे जिधर देखो, खुशियां भी गम सी हैं….
हर दिल में तूफां है, सीने में जलन सी है…

सब देख के हैंरां हैं, ये कैसा आलम है।
सब बात तो करते हैं, बाते बेमन सी हैं…
हर दिल में तूफां है, सीने में जलन सी है…

कहीं खून के छींटे है, कही चीखें दर्द भरी।
आंखों मे आंसू हैं, और वफा दफन सी है…
हर दिल में तूफां है, सीने में जलन सी है…

कोई ना देख सके, जिसका गणमान नहीं
आदम तेरी नीयत, अब काले धन सी है…
हर दिल में तूफां है, सीने में जलन सी है…

भगवान के दर को भी, नापाक बना डाला।
इंसानों की फितरत, कुछ वहशीपन सी है..
हर दिल में तूफां है, सीने में जलन सी है…

सतीश बंसल

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.