कविता

जीवन है संघर्ष

जीवन है संघर्ष अगर और आँखों में अश्रु की धारा है।
धैर्य न खोना बस ये सोचना तू भी किसी का सहारा है।
दृढ़ हो निश्चय अडिग इरादे मन में अटल विश्वास है जो
फिर कितनी हो मझधार में नैया निश्चय मिले किनारा है।

सीखो सुगन्धित पुष्प,लता हर मन उपवन महकाती हैं।
सीखो बर्षा की बूंदों से जो प्यासे की प्यास बुझाती हैं।
सीखो दीपक की अग्नि सदा संध्या स्वर्णिम बनाती है।
सीखो शशि की शीतलता, शीतल हृदय कर जाती है। ।

हम भी कुछ ऐसा कर जाएँ जिसमे कुछ नाम हमारा है।
धैर्य न खोना बस ये सोचना तू भी किसी का सहारा है।

सीखो कोयल काली होकर भी संगीत मधुर सुनाती है।
सीखो नदिया की धारा संग,मैली माटी भी बह जाती है।
सीखो सागर की लहरों से जो जीवन का राग सुनाती हैं।
कभी मचलती चंचल सी कभी शांत सरल हो जाती है।

क्या किसी के बने सहायक जब कष्ट में कोई पुकारा है?
धैर्य न खोना बस ये सोचना तू भी किसी का सहारा है।

सीखो वृक्षों की शाखाएं फल लगते ही झुक जाती हैं।
सीखो समीर की सुर सरगम सरस सुधा बरसाती है।
सीखो हिमगिरी की ऊंचाई गर्व से जीना सिखाती है।
परहित सरिस धर्म का हमको पुण्य पाठ पढ़ाती है।

सोचो किसी की जीत की खातिर तुमने क्या कुछ हारा है?
धैर्य न खोना बस ये सोचना तू भी किसी का सहारा है।

वैभव दुबे "विशेष"

मैं वैभव दुबे 'विशेष' कवितायेँ व कहानी लिखता हूँ मैं बी.एच.ई.एल. झाँसी में कार्यरत हूँ मैं झाँसी, बबीना में अनेक संगोष्ठी व सम्मेलन में अपना काव्य पाठ करता रहता हूँ।

7 thoughts on “जीवन है संघर्ष

    • वैभव दुबे "विशेष"

      शुक्रिया सर जी

  • शशि शर्मा 'ख़ुशी'

    बेहतरीन, प्रेरणादायी व उम्दा रचना

    • वैभव दुबे "विशेष"

      आदरणीया हृदय से धन्यवाद
      सराहना हेतु

      • शशि शर्मा 'ख़ुशी'

        नमन

  • विभा रानी श्रीवास्तव

    प्रेरक रचना
    उम्दा अभिव्यक्ति

    • वैभव दुबे "विशेष"

      हृदय से धन्यवाद आदरणीया

Comments are closed.