***** जिन्दगी हर पल रूप बदलती है ****
नदी सदा के लिए समुन्द्र में लीन नहीं होती !!
बनकर भाप जब वो आसमां में जा ठहरती है !
सदा के लिए वो, बादल में तब्दील नहीं होती !!
फिर से नदी समुन्द्र से, मिलने को तरसती है !!
तडपते – भटकते राह की, रुकावटें सहते – सहते !
अपनी राह बनाकर वो, समुन्द्र से जा मिलती है !!
पर ज़िन्दगी रूकती नहीं,फिर अपना रूप बदलती है !
और वो नदी भाप बनकर, फिर से बादल बनती है !!
परिवर्तन ही है ज़िन्दगी, जो हर पल में बदलती !
बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति ख़ुशी जी
हार्दिक आभार सराहना के लिये |