आखिर बात क्या है..
बात बात पर मुस्काने लगे हो
आखिर बात क्या है।
खुद को कुछ और दिखाने लगे हो
आखिर बात क्या है।
कुछ अलग सा लगता है, अन्दाज ऐ जिन्दगी
खुद को खुद से भी छुपाने लगे हो, आखिर बात क्या है॥
चेहरे के भाव लबों से मेल नही खाते, आखिर क्या बात है
तुम जो होते हो वो नजर नही आते, आखिर क्या बात है।
कभी दिल का आईना हुआ करता था, आपका चेहरा
आजकल खुद को सामने नही लाते, आखिर बात क्या है॥
मेरी हर बात पर कुछ ज्यादा गौर फरमाते हो, आखिर बात क्या है
ऐसा लगता है हर पल कुछ खास कहना चाहते हो,आखिर बात क्या है।
और जानते हो कि दिल की हर धडकन तुम्हारा हसल बता देती है
फिर भी हर बात मुझसे छुपाते हो, आखिर बात क्या है॥
तुम्हें क्या लगता है, तुम्हारी हंसी तुम्हारा हर दर्द दबा लेगी
बनावटी मुस्कुराहट, गम के आंसू हर ठौर छुपा लेगी।
तुम जितना चाहो हर घडी, चेहरे के भाव लाख छुपा लो
पर मेरी मोहब्बत तुम्हारे दर्द का हर छोर पा लेगी॥
तुम जानत होेे मेरी सांसे, मेरा जीवन सिर्फ तुम्हारी सौगात है…
फिर भी मुझसे गम छुपाते हो, आखिर बात क्या है..
सतीश बंसल
वाह ! बहुत सुंदर रचना
आखिर बात क्या है
वाह वाह! क्या बात है !!
शुक्रिया विजय जी, खुशी जी…