कवितागीत/नवगीत

आओ हिंदी दिवस मनाएं !

आओ हिंदी दिवस मनाएं !
प्रात भ्रमण में जो मिल जाए, उसको अपना गीत सुनाएँ,
सुप्रभात अब बोलें हम सब, गुड मॉर्निंग को बाय बाय, आओ हिंदी दिवस मनाएं!
मातु पिता गुरु के चरणों में, श्रद्धापूर्वक शीश नवायें, आओ हिंदी दिवस मनाएं!
मुन्ने की अम्मा घरवाली, बाहर वाली सभी बहन जी,
संभ्रांता देवी महोदया, माननीया फूफी हो सकती
काकी चाची मौसी फ़ूआ, दादी नानी सासु माँजी
दीदी बहना सरहज साली, दूर कहीं बैठी है आली
कच्चे धागे से बंधे हुए, कानून बीच न कोई आय. आओ हिंदी दिवस मनाएं
इन रिश्तों में है आकर्षण. नमन प्रणाम या अभिनन्दन कर
शुभ स्वागत आभार प्रकट कर, एक दूजे को गले लगायें आओ हिंदी दिवस मनाएं
बाबूजी या स्वसुर पिताजी, काका, फूफा, मौसा, चाचा
मामा मातुल नाना दादा, साला साढ़ू सब घर आजा
आर्य पुत्र या वत्स तात हो, भगिना भांजा भैया भ्राता
अंग्रेजी में अल्प हैं रिश्ते, बने बड़े शब्दों का भाजा
यहाँ बना अंजाना बंधन वहां सभी कानून सिखाये, आओ हिंदी दिवस मनाएं
(हिदी दिवश पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं)
जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर तिथि- १४.०९.२०१५