अगली पीढ़ी के लिए
अगली पीढ़ी के लिए
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यकीं कर राहों पर
जब स्वयं
बढ़ते हैं कदम
लक्ष्य की तरफ
तब
पीछे छूट जाते हैं
अपने ही कदमों की
निशानियाँ
साथ रह जाती हैं कुछ
खट्टी-मीठी
अनुभूतियाँ
और बिछड़े हुए पथिक की
स्मृतियाँ
फिर हम बिछाना चाहते हैं
उन राहों पर
मखमल
अगली पीढ़ी के लिए
कि कहीं हमारी तरह
उनके पांव भी
न हो जाएँ
छलनी
तभी तो हम
सुनाते हैं
अपनी भूली बिसरी
कहानियां
और सौप देना चाहते हैं उन्हें
अपनी
कुछ
जिम्मेदारियां
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©कॉपीराइट किरण सिंह