भजन
कुछ नहीं पास है माना खाली हाथ हैं मेरे !
इक तुम्हारे सहारे ही चल पड़ा हूँ गुरूवर मेरे !
ना कोई गुण ना है कोई पहचान है पास मेरे !
बुद्धिहीन जान कर हर लो अब अवगुण मेरे !
ज्ञान का दान देकर उजियारे भर दो मन में मेरे !
कुछ नहीं पास है ………
इन्सां हूँ हर पल गल्त हूँ मेरे अज्ञान को कर दो परे !
मन को अपने सत्कर्मों में लगाकर रहूं बस चरणों में तेरे !
कुछ तो सार्थक जीवन जीऊं ऐसे कि अर्पण हो तेरे !
दया करना गुरुवर अब हर पल रहना तुम संग में मेरे !!!
कुछ नहीं पास है ……….
कामनी गुप्ता ***