सामाजिक

आईना बोलता है

प्रभु सहारे, रेलम्-पेल मंत्रालय :

हमारे एक मित्र, जिन्होंने लखनऊ-चण्डीगढ़ सुपरफास्ट में 14 नवम्बर का तत्काल सुविधा में लखनऊ से रूड़की तक का टिकट बुक कराया था, वे लखनऊ प्लेटफार्म पर और ट्रेन में अतिशय भीड़ के कारण आरक्षण होने के बावजूद गाड़ी में नहीं चढ़ पाए, और मजबूरन बस से रूड़की आए।

तत्काल में टिकट कैंसिल कराने पर कुछ भी वापस नहीं होता। मैं माननीय रेल मंत्री श्री सुरेश प्रभु से इस खुले पत्र के द्वारा यह जानना चाहता हूँ कि यदि कोई आरक्षित यात्री रेल तंत्र के कुप्रबंधन की वजह से गाड़ी नहीं पकड़ पाता है तो इसका जिम्मेदार कौन है ? क्या यह सेवा में घोर कमी नहीं मानी जाएगी जहाँ सेवा देने वाला पूरे पैसे लेने के बाद भी समुचित सेवा नहीं प्रदान करता है और सेवा न दे पाने के कारण पैसे भी वापस नहीं करता है ? क्या ऐसे मामलों में रेल तंत्र MRTP Act और Consumers’ Rights Protection Act के तहत दोषी करार नहीं माना जाएगा ?

जिस प्रकार नई रेल आरक्षण नीति में आरक्षित, यहाँ तक की वेटिंग लिस्ट वाले यात्रियों के भी पैसे को खुर्द-बुर्द करने के नियम बनाए जा रहे हैं, क्या यह जनता की उन अपेक्षाओं के प्रति, जिनकी पूर्ति के लिये उसने आप सब को सत्ता के लायक बनाया, धोखाधड़ी नहीं है ? क्या माननीय रेल मंत्री यह भूल गये हैं कि देश की 70% ग़रीब जनता के लिये आज भी एकमात्र सवारी रेल ही    है ?

क्या माननीय रेल मंत्री महोदय मेरे प्रश्नों का उत्तर देने का कष्ट उठाएँगे, या असहिष्णु करार कर के मेरे मुँह पर भी ताला जड़ दिया जाएगा ?

मनोज पाण्डेय 'होश'

फैजाबाद में जन्मे । पढ़ाई आदि के लिये कानपुर तक दौड़ लगायी। एक 'ऐं वैं' की डिग्री अर्थ शास्त्र में और एक बचकानी डिग्री विधि में बमुश्किल हासिल की। पहले रक्षा मंत्रालय और फिर पंजाब नैशनल बैंक में अपने उच्चाधिकारियों को दुःखी करने के बाद 'साठा तो पाठा' की कहावत चरितार्थ करते हुए जब जरा चाकरी का सलीका आया तो निकाल बाहर कर दिये गये, अर्थात सेवा से बइज़्ज़त बरी कर दिये गये। अभिव्यक्ति के नित नये प्रयोग करना अपना शौक है जिसके चलते 'अंट-शंट' लेखन में महारत प्राप्त कर सका हूँ।

One thought on “आईना बोलता है

  • विजय कुमार सिंघल

    आपके प्रश्न पूरी तरह सत्य हैं। मैंने अपने ब्लॉग में रेलवे द्वारा की जाने वाली लूट पर कई बार लिखा था। पर सब चिकने घड़े हैं।

Comments are closed.