ग़ज़ल
बड़ी मुश्किल से ये जज़्बात छुपाए हमने,
मुस्कुराए, ठहाके झूठे लगाए हमने
तुमको मालूम ये शायद ना कभी हो पाए,
तेरे जाने के बाद आंसू बहाए हमने
प्यार किया हमने मगर तुमको बताया ही नहीं,
दिल के नगमे कभी तुमको ना सुनाए हमने
राह में साथ छोड़ गए ये अफ़सोस तो है,
कैसे भूलोगे पल जो साथ बिताए हमने
जानता हूँ तुम्हें अब मेरी ज़रूरत ही नहीं,
क्यों आँखों को ऐसे सपने दिखाए हमने
नहीं था हादसा ये इश्क हकीकत थी मगर,
हौसले कहने को तुमसे ना जुटाए हमने
दिल को अब भी है उम्मीद तेरे आने की,
रोज़ तेरे लिए चिराग जलाए हमने
— भरत मल्होत्रा