वक्त वे वक्त क्यों याद आते गये …
वक्त- बे- वक्त क्यों याद आते गये।
रुह- में- रुह क्यों वो मिलाते गये।
थी अनजान सी वो लम्बी डगर
क्यों पहचान सी तुम बनाते गये।१।
आपस में एक रिस्ते में बधते गये।
लम्बी डगर को छोट करते गये।
मशगूल हुए हम यहाँ मिलकर,
खुशी मिली इतना कि सटते गये।२।
एक जगह बैठ कर बातें होती रही।
कभी मेरे पलकों पे वो सोती रही।
दोनों कभी हो जाय न दूर,सोचकर,
ओठ पर सिसकियाँ कभी लेती रही।३।
धिरे-धिरे एक-दूजे से दूर होते गये।
वक्त आया ऐसा कि विछुड़ते गये ।
बधने का प्रयास किये यहाँ मिलकर
किन्तु हमेशा के लिए हम छूटते गये।४।
@रमेश कुमार सिंह /०१-१२-२०१५