कविता

मुझे गीत वसंत का गाने दो

मुझे गीत वसंत का गाने दो,
कुछ देर तो ग़म को भुलाने दो

कभी आंधी-पानी ने मारा
कभी शीत पड़ी, कभी है पाला
कभी गर्मी से मन मुरझाया
कुछ देर तो मन महकाने दो
मुझे गीत वसंत का गाने दो…

कभी भेदभाव ने भरमाया
कभी ऊंच-नीच की है छाया
कभी भाग्य ने फैलाई माया
कुछ देर तो मधु छलकाने दो
मुझे गीत वसंत का गाने दो…

कभी आधि रही, कभी व्याधि रही
कभी बाधाएं भी आती रहीं
कभी बुद्धि चकित चकराती रही
कुछ देर तो मन हर्षाने दो
मुझे गीत वसंत का गाने दो…

कभी कांटों ने दामन पकड़ा
कभी अंधविश्वासों ने जकड़ा
कभी असफलता का भार पड़ा
कुछ देर तो मन बहलाने दो
मुझे गीत वसंत का गाने दो…
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*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

8 thoughts on “मुझे गीत वसंत का गाने दो

  • राज किशोर मिश्र 'राज'

    वाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्हआदरणीया बहन लाजवाब सृजन के लिए बधाई

    • लीला तिवानी

      प्रिय राजकिशोर भाई जी, लाजवाब प्रतिक्रिया के लिए हम भी आपके शुक्रगुज़ार हैं.

  • मनजीत कौर

    वाह! अतिसुन्दर गीत प्रिय सखी जी शुक्रिया

    • लीला तिवानी

      प्रिय सखी मनजीत जी, प्रोत्साहन के लिए शुक्रिया.

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    कभी आंधी-पानी ने मारा

    कभी शीत पड़ी, कभी है पाला

    कभी गर्मी से मन मुरझाया

    कुछ देर तो मन महकाने दो

    मुझे गीत वसंत का गाने दो… बहुत खूब !

    • लीला तिवानी

      प्रिय गुरमैल भाई जी, आपने गीत की अनमोल मणि ढूंढ निकाली है. प्रोत्साहन के लिए शुक्रिया.

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत सुंदर गीत, बहिन जी !

    • लीला तिवानी

      प्रिय विजय भाई जी, प्रोत्साहन के लिए शुक्रिया.

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