तानों से थक जाते हैं
काम से हम नहीं थकते
तुम्हारे तानों से थक जाते हैं
काम तुम्हारा करके
यह कौन सा सुख पाते हैं
कि तुम्हारे तानों से थक जाते हैं
काम बहुत हो, शाम बहुत हो
हम कभी नहीं घबराते हैं
अंधेरे को टिकने नहीं देते
और उजाले ही सुहाते हैं
बस इक तुम्हारे तानों से थक जाते हैं
हौसलें बुलंद बहुत हैं
गर्म खून रगों में बहाते हैं
सब कुछ करते हैं, सबको हराते हैं
पर एक बात समझ नहीं पाते हैं
क्यूँ तुम्हारे तानों से थक जाते हैं
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वाह वाह !
dhanyavad
पर एक बात समझ नहीं पाते हैं
क्यूँ तुम्हारे तानों से थक जाते हैं. हा हा ,यही तो भेद है .
शुक्रिया सर जी। मगर अभी भी भेद खुला नहीं कि क्यों तानों से थक जाते हैं। ह हा हा
पर एक बात समझ नहीं पाते हैं
क्यूँ तुम्हारे तानों से थक जाते हैं. हा हा ,यही तो भेद है .