मुस्कुराने से फ़िज़ाएं मुस्कुराती हैं
मुस्कुराओ, कि मुस्कुराने से फ़िज़ाएं मुस्कुराती हैं,
गुनगुनाओ, कि गुनगुनाने से बहारें गुनगुनाती हैं,
मिला है जीवन जग में, कुछ अच्छा कर दिखाने को,
कुछ अच्छा करके जाएं, तो मन की गलियां मुस्कुराती हैं.
झिलमिलाओ, कि झिलमिलाने से सितारे झिलमिलाते हैं,
खिलखिलाओ, कि खिलखिलाने से नज़ारे खिलखिलाते हैं,
मिला है जीवन जग में, कुछ नया कर दिखाने को,
कुछ नया करके जाएं, तो मन की दरीचे झिलमिलाते हैं.
झूमो, कि झूमने से कलियां झूम जाती हैं,
गाओ, कि गाने से कोयलें साथ गाती हैं,
मिला है जीवन जग में, बस आनंद अनुभव करने को,
आनंद अनुभव करके ही जाएं, तो मन की खिड़कियां खनक जाती हैं.
बहुत बढ़िया !
प्रिय विजय भाई जी, शुक्रिया.
प्रिय गुरमैल भाई जी, सही है, मुस्कुराएं-गुनगुनाएं-खिलखिलाए, आनंद अनुभव करके ही जाएं.
आनंद अनुभव करके ही जाएं, तो मन की खिड़कियां खनक जाती हैं. वाह ,किया बात है ,खुलने से खिडकिया ,खडकते हैं खडक सिंह .