गीत : देश तुम्हें गणतंत्र मुबारक
देश तुम्हें गणतंत्र मुबारक, संविधान के मन्त्र मुबारक
लोकतंत्र में आग लगाते, गद्दारी षड्यंत्र मुबारक
दुश्मन पाकिस्तान मुबारक, सबको कोट-पठान मुबारक
अपनी ही सीमा में मरते, बांके वीर जवान मुबारक
आतंकी स्वच्छंद मुबारक, वोटों का आनंद मुबारक
हिन्दू ही दंगा करते हैं, मुस्लिम अमन पसन्द मुबारक
आई एस का जोर मुबारक, पकडे गए किशोर मुबारक,
ये भटके मासूम मुसलमां, गली गली हर ओर मुबारक
भारत का अपमान मुबारक, डरता आमिर खान मुबारक
फुटपाथों पर मरी गरीबी, बरी हुआ सलमान मुबारक
सेक्यूलर अंदाज़ मुबारक, फ़ैल रही है खाज मुबारक
पुरस्कार वापस लौटाते, चमचे मक्खनबाज मुबारक
हुआ दादरी कांड मुबारक, अखिल मीडिया भांड मुबारक
और मालदा में बौराये, वो जेहादी सांड मुबारक
अच्छे दिन की आस मुबारक, ज़हरीला मधुमास मुबारक
काश्मीर के ब्राह्मणों की, रोती ज़िंदा लाश मुबारक
सैफई है आबाद मुबारक, यू पी के अपराध मुबारक
व्यापम की फ़ाइल में होती, न्याय नीति बर्बाद मुबारक
तुमको नया बिहार मुबारक, बीजेपी की हार मुबारक
नीतिश की छाती पर बैठी लालू की सरकार मुबारक
दारू पीते यंग मुबारक, बॉलीवुड के रंग मुबारक
शिव जी का उपहास उडाता, पीके नंग धड़ंग मुबारक
आरक्षण की आग मुबारक, नेताओं का राग मुबारक
एड़ी घिसती प्रतिभाओं की, कुंठित भागमभाग मुबारक
रेप हुए जो रोज मुबारक, कानूनों के बोझ मुबारक
लुटती मरती रही निर्भया, है ज़िंदा अफ़रोज़ मुबारक
उठता गिरता तेल मुबारक, मोदी जी की रेल मुबारक
बिल अटके लटके संसद में, देसी रेलमपेल मुबारक
ये गौरव चौहान मुबारक, कविता की पहचान मुबारक
जन गण मन अधिनायक जय हे ! पूरा हिंदुस्तान मुबारक
——-कवि गौरव चौहान