हे ऋतुराज स्वागत है अभिनंदन है…
हे ऋतुराज स्वागत है अभिनंदन हैं
आभार हृदय से हाथ जोड वंदन है।
तुम आये तो सज गई धरा जैसे दुल्हन
कर सोलह श्रृंगार खिले जैसे यौवनi
झूम रही है मस्त बहारे खलिहानो में
आनंदित उल्लासित सा है नील गगन॥
हर युवती जैसे गोपी, हर युवक नंद नंदन है…
हे ऋतुराज स्वागत है अभिनंदन हैं
उग आई कोपल नवल लिये अंगडाई
पाकर यौवन हर कली कली मुस्काई।
बलखाती इठलाती बेलें हर्षित आनंदित
भंवरो ने गुंजन कर फिर तान सुनाई॥
हर बगिया महकी जैसे कि चंदन है….
हे ऋतुराज स्वागत है अभिनंदन हैं….
वृक्षों का आशीष लिये पुष्पित सब पादप
स्वागत को तैयार पधारो श्रृतुओं के नृप।
झूम झूम नाचेगीं जूही और चमेली
अभिलाषित वर पा जायेगा भंवरो का तप॥
प्रकृति में बंध गया प्रीत का नव बंधन है…
हे ऋतुराज स्वागत है अभिनंदन हैं….
— सतीश बंसल
भावपूर्ण गीत के लिए बधाई सतीश जी
शुक्रिया नमिता जी…
सुन्दर गीत, सतीश जी.
आभार विजय जी..
वाह बहुत खूब!
शुक्रिया रमेश जी…