गीत/नवगीत

हे ऋतुराज स्वागत है अभिनंदन है…

हे ऋतुराज स्वागत है अभिनंदन हैं

आभार हृदय से हाथ जोड वंदन है।

तुम आये तो सज गई धरा जैसे दुल्हन
कर सोलह श्रृंगार खिले जैसे यौवनi
झूम रही है मस्त बहारे खलिहानो में
आनंदित उल्लासित सा है नील गगन॥
हर युवती जैसे गोपी, हर युवक नंद नंदन है…
हे ऋतुराज स्वागत है अभिनंदन हैं

उग आई कोपल नवल लिये अंगडाई
पाकर यौवन हर कली कली मुस्काई।
बलखाती इठलाती बेलें हर्षित आनंदित
भंवरो ने गुंजन कर फिर तान सुनाई॥
हर बगिया महकी जैसे कि चंदन है….
हे ऋतुराज स्वागत है अभिनंदन हैं….

वृक्षों का आशीष लिये पुष्पित सब पादप
स्वागत को तैयार पधारो श्रृतुओं के नृप।
झूम झूम नाचेगीं जूही और चमेली
अभिलाषित वर पा जायेगा भंवरो का तप॥
प्रकृति में बंध गया प्रीत का नव बंधन है…
हे ऋतुराज स्वागत है अभिनंदन हैं….

— सतीश बंसल

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.

6 thoughts on “हे ऋतुराज स्वागत है अभिनंदन है…

  • नमिता राकेश

    भावपूर्ण गीत के लिए बधाई सतीश जी

    • सतीश बंसल

      शुक्रिया नमिता जी…

  • विजय कुमार सिंघल

    सुन्दर गीत, सतीश जी.

    • सतीश बंसल

      आभार विजय जी..

    • सतीश बंसल

      शुक्रिया रमेश जी…

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