गीत/नवगीत

गीत : भारत माँ हम शर्मिंदा हैं

भारत माँ हम शर्मिंदा हैं
कैंपस में लगते नारों पर
घर ही में छुपे गद्दारों पर
भाईयों के दिल में पलते जो
नफरत के उन अंगारों पर
भारत माँ हम शर्मिंदा हैं

भारत माँ हम शर्मिंदा हैं
बेमतलब की तकरारों पर
इन गालियों की बौछारों पर
जिन्हें दूध पिला कर पाला है
उन साँपों की फुफकारों पर
भारत माँ हम शर्मिंदा हैं

भारत माँ हम शर्मिंदा हैं
पीठ पे होते वारों पर
आस्तीनों की तलवारों पर
जो कौम, मजहब के नाम बहे
लहू के उन फव्वारों पर
भारत माँ हम शर्मिंदा हैं

भारत माँ हम शर्मिंदा हैं
आरक्षण की दीवारों पर
और पढ़े-लिखे बेकारों पर
जो सदियों पुरानी धरोहर थे
उन टूटते भाईचारों पर
भारत माँ हम शर्मिंदा हैं

भारत माँ हम शर्मिंदा हैं
मासूम की चीख-पुकारों पर
निर्दोषों के हत्यारों पर
रोज़ सुबह घर में आते
इन खून सने अखबारों पर
भारत माँ हम शर्मिंदा हैं

भारत माँ हम शर्मिंदा हैं
घाटी में लुटी बहारों पर
उदास, वीरान चिनारों पर
कश्मीरी पंडितों पर जो हुए
उन सारे अत्याचारों पर
भारत माँ हम शर्मिंदा हैं

भारत माँ हम शर्मिंदा हैं
कुछ भेड़ बने सियारों पर
इन सब लालच के मारों पर
जो खुद को नेता समझते हैं
उन दिमागी बीमारों पर
भारत माँ हम शर्मिंदा हैं

भारत माँ हम शर्मिंदा हैं
लाशों से भरे बाजारों पर
पद पर बैठे लाचारों पर
बेहोश पड़े प्रशासन पर
और सोई हुई सरकारों पर
भारत माँ हम शर्मिंदा हैं

— भरत मल्होत्रा

*भरत मल्होत्रा

जन्म 17 अगस्त 1970 शिक्षा स्नातक, पेशे से व्यावसायी, मूल रूप से अमृतसर, पंजाब निवासी और वर्तमान में माया नगरी मुम्बई में निवास, कृति- ‘पहले ही चर्चे हैं जमाने में’ (पहला स्वतंत्र संग्रह), विविध- देश व विदेश (कनाडा) के प्रतिष्ठित समाचार पत्र, पत्रिकाओं व कुछ साझा संग्रहों में रचनायें प्रकाशित, मुख्यतः गजल लेखन में रुचि के साथ सोशल मीडिया पर भी सक्रिय, सम्पर्क- डी-702, वृन्दावन बिल्डिंग, पवार पब्लिक स्कूल के पास, पिंसुर जिमखाना, कांदिवली (वेस्ट) मुम्बई-400067 मो. 9820145107 ईमेल- [email protected]

3 thoughts on “गीत : भारत माँ हम शर्मिंदा हैं

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत अच्छा गीत, भरत जी !

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत अच्छा गीत, भरत जी !

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    भारत माँ हम शर्मिंदा हैं

    लाशों से भरे बाजारों पर

    पद पर बैठे लाचारों पर

    बेहोश पड़े प्रशासन पर

    और सोई हुई सरकारों पर

    भारत माँ हम शर्मिंदा हैं, आप ने सही कहा है .

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