कविता : सुनो…
ले चलना हमें कुछ देर
कुछ दूर ….
तुम अपने साथ
आसमान की
नीली चादर तले
लिए हाथों में हाथ…..
और थोड़े से जज़्बात….
जिनसे फिर जी उठे
ये दिल की धड़कन….
और जाग उठे
कुछ मीठी तड़पन ….
यूँ ही सुनो, तुम हमें
यूँ ही कहो, कुछ तुम हमें
न हो
जो इस दुनिया के
बंधनों में बंधा
न हो
जो किसी भी
किताब में पढ़ा
वही पढ़ लेना तुम मुझमें
सुनो,
ले चलना हमें
कुछ देर, कुछ दूर….
तुम अपने साथ।
— मीना सूद
बढ़िया !
शोभनम्