गीत/नवगीत

दिल में लगने लगी है लगन क्या करे…

दिल में लगने लगी है लगन क्या करे
सांसों में पल रही है जलन क्या करे।
नीद आती नही सोचकर आपको
करके हारे हैं सारे जतन क्या करे॥

जलते दीपक सा जलता है दिल रात भर
आहे भरता मचलता है दिल रात भर।
इस तरहा बस गये हो ख्यालो में तुम
मुश्किलों से सम्हलता है दिल रात भर॥
तन को महसूस करता है तन क्या करे…
दिल में लगने लगी है लगन क्या करे….

धडकनों मे नई हलचलें बढ गई
आप जबसे लगे हो गले बढ गई।
हम नशे में है मदहोश ऐ हमनशीं
तेरी आंखों की मय इस कदर बढ गई॥
लड़खडाने लगे हैं कदम क्या करे…
दिल में लगने लगी है लगन क्या करे….

आप बिन अब सफर मेरा कटता नही
दिल का तूफ़ान डाटे से डटता नही।
जाने कैसा ये जादू किया आपने
आपका चेहरा आंखों से हटता नही॥
अब जलाने लगी है अगन क्या करे….
दिल में लगने लगी है लगन क्या करे….

सतीश बंसल

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.