मुक्तक
हे यदुनंदन अब तो आओ, जग की नैया पार लगाओ
विवश हुआ है जीवन जीना, एक बार तो चक्र चलाओ।
रुपया पैसा जग जीवन में, हे प्रभु बहुत महान हुआ
आके देखों अपनी द्वारिका, गोकुल मथुरा पार लगाओ॥
— महातम मिश्र
हे यदुनंदन अब तो आओ, जग की नैया पार लगाओ
विवश हुआ है जीवन जीना, एक बार तो चक्र चलाओ।
रुपया पैसा जग जीवन में, हे प्रभु बहुत महान हुआ
आके देखों अपनी द्वारिका, गोकुल मथुरा पार लगाओ॥
— महातम मिश्र
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अच्छा मुक्तक !
अच्छा मुक्तक !
सादर धन्यवाद आदरणीय श्री विजय कुमार सिंघल सर, आभार