गीत/नवगीत

चौताल

 

फागुन को रंग लगाय गई, पनघट पट आई पनिहारिन
रंग रसियन चाह बढ़ाय गई, गागरिया लाई पनिहारिन
निहुरि घड़ा अस भरति छबीली……………………………
मानहु मन बसंत डोलाय गई, पनघट पट आई पनिहारिन।।-1

अधखिली कली भरमाय गई, झटपट नियराई पनिहारिन
मानहुँ मदन कदम पद चूमति…………………………………….
रंग घोरि बदन लपटाय गई, लटपट बिखराई पनिहारिन।।-2

रंगिहों केहि भांति बताय गई, घूंघट सरकाई पनिहारिन
गोल कपोल गुलाल मलहु मति……………………………….
चोली चुनरी सरकाय गई, नटखट नरमाई पनिहारिन।।-3

लय ढोलक मंजिरा बजाय गई, चौताल सिखाई पनिहारिन
वैसवार रंगफाग बिरह यति………………………………………
मिलि गौतम नेह लगाय गई, बिहँसी बलखाई पनिहारिन।।-4

महातम मिश्र (गौतम)

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ

2 thoughts on “चौताल

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छा गीत !

    • महातम मिश्र

      सादर धन्यवाद आदरणीय विजय सर

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