बाल कहानी

बाल कहानी : उपकार का फल

सोहन बहुत ही कोमल ह्रदय का प्रकृति प्रेमी बालक था। पर्वत, झरने,नदियाँ,पशु-पक्षी सब उसको बहुत पसंद थे।पर्वत से गिरते झरनों को वो निरन्तर देखता रहता था। वृक्षों पर लगे फलों को तथा पौधों पर लगे पुष्पों को बहुत ध्यान से देखता। बड़े बड़े वृक्षों पर बैठे पक्षियों से बात करता था। छोटे छोटे पशुओं को बहुत प्यार करता था। रोज़ बगीचे में जब खेलने जाता तो पक्षियों के कलरव में खो जाता।

एक दिन जब वो बगीचे में खेल रहा था  कि अचानक उसके पाँव के पास एक छोटी सी चिड़िया घायल होकर गिरी।
उसके शरीर से खून बह रहा था और वो निढाल पड़ी सांस भर रही थी। सोहन ने देखा तो उससे रहा नहीं गया, दौड़कर एक डिब्बे में पानी भर लाया और उसपर छीटें मार उसको होश में लाने लगा। उसके सभी मित्र उसको ऐसा करने से रोकने लगे किन्तु वो नहीं माना और धीरे से उसे हाथ से उठाकर घर ले आया।घर के आँगन में उसको लिटाकर डेटॉल से उसके घाव को धोया और उस पर दवा लगा दी। कुछ दाल के और चावल के दाने और पानी उसके नज़दीक रख दिया।उसके चारों ओर ईंट रखकर उसकी सुरक्षा का इंतज़ाम किया। इस प्रकार घरवालों की बात बिना सुने कुछ दिन तक उसकी सेवा की। कुछ ही दिनों में वो ठीक होकर उड़ गयी।अब जब भी सोहन बगीचे में खेलने जाता वो चिड़िया ची ची कर शोर मचाती। शायद अपनी ख़ुशी दिखाती।इस तरह कुछ दिन बीत गए।

अचानक एक दिन आधी रात के बाद जब सब गहरी नींद में सो रहे थे वो चिड़िया सोहन के घर के बाहर ज़ोर ज़ोर से ची ची करने लगी। उसकी आवाज़ से बहुत सारी चिड़ियाँ वहाँ आकर शोर करने लगीं। उनके शोर से सोहन और उसके घरवालों की नींद खुल गयी। आस पास के लोग भी शोर सुनकर बाहर आ गये और सब मिलकर चिड़ियों को भगाने लगे। सोहन के बाहर आते ही वो चिड़िया उसके कंधे पर बैठ गयी और ची ची करने लगी।

अचानक तेज़ भूकंप से धरती हिलने लगी। सब घबराकर इधर उधर भागने लगे। एकदम से कितने ही घर भरभरा के ढह गए। सोहन के घर की भी एक दीवार गिर गयी। कुछ लोग दब गए। जब भूकंप थमा तब सबको एहसास हुआ कि उस छोटी सी चिड़िया ने उनकी जान बचाई है। सोहन की माँ की आँखों से ख़ुशी के आँसू  निकल पड़े। माँ ने सोहन को गले लगा लिया। सब कहने लगे कि अगर चिड़ियाँ शोर न करतीं तो हम सब मर गए होते। आज उन्हीं के कारण हम सब ज़िंदा हैं।

सोहन की माँ बोलीं कि दूसरों की सहायता करना, दूसरों पर उपकार करना कभी व्यर्थ नहीं जाता।कभी न कभी उसका अच्छा फल मिलता ही है। सोहन छोटा था, माँ की बात की गहराई वो समझ न सका लेकिन उस चिड़िया को ढूँढने लगा जो कब की उड़ चुकी थी।

— नीरजा मेहता

नीरजा मेहता

नाम-----नीरजा मेहता ( कमलिनी ) जन्मतिथि--- 24 दिसम्बर 1956 वर्तमान/स्थायी पता-- बी-201, सिक्का क्लासिक होम्स जी एच--249, कौशाम्बी गाज़ियाबाद (यू.पी.) पिन--201010 मोबाइल नंबर---9654258770 ई मेल---- mehta.neerja24@gmail.com शिक्षा--- (i)एम.ए. हिंदी साहित्य (ii)एम.ए. संस्कृत साहित्य (iii) बी.एड (iv) एल एल.बी कार्यक्षेत्र-----रिटायर्ड शिक्षिका सम्प्रति-----लेखिका / कवयित्री प्रकाशन विवरण-- प्रकाशित एकल काव्य कृतियाँ-- (1) "मन दर्पण" (2) "नीरजा का आत्ममंथन" (3) "उमंग" (बाल काव्य संग्रह) प्रकाशित 23 साझा काव्य संग्रह---- क़दमों के निशान, सहोदरी सोपान 2, सहोदरी सोपान 3, भावों की हाला, कस्तूरी कंचन, दीपशिखा, शब्द कलश, भारत की प्रतिभाशाली हिंदी कवयित्रियाँ, भारत के प्रतिभाशाली हिंदी रचनाकार, काव्य अमृत, प्रेम काव्य सागर, शब्द गंगा, शब्द अनुराग, कचंगल में सीपियाँ, सत्यम प्रभात, शब्दों के रंग, पुष्पगंधा, शब्दों का प्याला, कुछ यूँ बोले अहसास, खनक आखर की, कश्ती में चाँद, काव्य गंगा, राष्ट्र भाषा हिन्दी सागर साहित्य पत्रिका। प्रकाशित 2 साझा कहानी संग्रह-- (1) अंतर्मन की खोज (2) सहोदरी कथा पत्र-पत्रिकायें--- देश विदेश के अनेकों पत्र- पत्रिकाओं व ई-पत्रिकाओं में प्रकाशित रचनायें। (शीघ्र प्रकाशित होने वाली संस्मरण पर आधारित एकल पुस्तक, 5 साझा काव्य संग्रह और 2 साझा कहानी संग्रह।) (3) सम्मान विवरण--- (1) साहित्य क्षेत्र में विभिन्न संस्थाओं /समूहों द्वारा कई बार सम्मानित---- काव्य मंजरी सम्मान, छंदमुक्त पाठशाला समूह द्वारा चार बार सम्मानित, छंदमुक्त अभिव्यक्ति मंच द्वारा पाँच बार सम्मानित, श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान, साहित्यकार सम्मान ( दो बार प्राप्त हुआ ), भाषा सहोदरी हिंदी सम्मान (दो बार प्राप्त हुआ), साहित्य गौरव अलंकरण सम्मान, आगमन समूह द्वारा सम्मानित, माँ शारदे उत्कर्ष सम्मान , दीपशिखा सम्मान, शब्द कलश सम्मान, काव्य गौरव सम्मान (दो बार प्राप्त हुआ ), गायत्री साहित्य संस्थान द्वारा सम्मानित, नारी गौरव सम्मान, युग सुरभि सम्मान, शब्द शक्ति सम्मान, अमृत सम्मान, प्रतिभाशाली रचनाकार सम्मान, प्रेम सागर सम्मान, आगमन साहित्य सम्मान, श्रेष्ठ शब्द शिल्पी सम्मान, हिन्दी साहित्य गौरव सम्मान, हिन्दी सागर सम्मान (संपादक सम्मान ), हिन्दुस्तानी भाषा अकादमी द्वारा सम्मानित। (2) उपाधि---काव्य साहित्य सरताज उपाधि ( ग्वालियर साहित्य कला परिषद {मध्य प्रदेश}द्वारा प्राप्त ) (3) विद्यालय से भी दो बार शिक्षक दिवस पर "बेस्ट टीचर अवार्ड" प्राप्त हुआ है। (1997 और 2008 में

One thought on “बाल कहानी : उपकार का फल

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छी कहानी !

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