विरासत
आज फिर सुबह का आगाज़ ममी पापा के झगड़े से हुआ था ।पांच वर्ष का माही यह सब देख रहा था, पर उसके लिए यह कोई नई बात नहीं थी। अकसर मंजू और सोमेश की लड़ाई होती थी। कभी कभी तो बिना बात के ही तू तू मैं मैं हो जाती थी और बात तलाक तक आ जाती थी। फिर माही का हवाला देकर मंजू और सोमेश झगड़ा खत्म करते थे। नन्हा माही कहता तो कुछ नहीं था पर मन में डर जाता था कि पता नहीं आज क्या हो जाएगा। जब झगड़ा खत्म होता था सोमेश आफिस जा चुका होता था तो माही को राहत की सांस मिलती थी। माही जब स्कूल में होता था तब भी उसे यही लगता कि कहीं ममी पापा का झगड़ा न हो रहा हो। छुट्टी वाला दिन भी झगड़ा खत्म होने के बाद ही कुछ निकलता था।
माही के कोमल मन में तरह तरह के सवाल उठते थे कि क्या सभी घरों में ऐसा ही होता है। नानी के घर तो ऐसी बात नहीं होती थी। आखिर वो इन सवालों के जबाव पूछता भी तो किससे ? ममी से कभी पूछने की कौशिश करता तो वो भी डांट कर कह देती कि अपने काम से काम रखो। फिज़ूल की बात मत करो। पता नहीं मंजू को क्या हो गया था वो खुद समझ नहीं पाती थी। कभी पैसो की वजह से कभी कहीं छुट्टियों में जाने की वजह से हर बात और बहस झगड़े का रुप ले लेती थी।
एक दिन माही के रिज़ल्ट के दिन स्कूल में ममी पापा को बुलाया गया था। सभी अपने अपने बच्चो के साथ स्कूल आए हुए थे। मंजू और सोमेश भी कक्षा के बाहर अपनी बारी की प्रतीक्षा करने लगे। सभी बच्चे अपने ममी पापा के साथ खुशी खुशी आ रहे थे और फिर रिज़ल्ट लेकर जा रहे थे। माही उन सब को देख रहा था। इतने में मंजू और सोमेश को भी माही की अध्यापिका ने अंदर बुलाया और बहुत ही हैरत भरी नज़रों से उन्हें देखकर बोली कि आप माही की तरफ ध्यान क्यों नहीं देते वो कक्षा में भी परेशान सा रहता है दोस्तों के साथ भी खुश नहीं रहता और कोई बुलाता भी है तो गुस्से से उल्टा जबाव दे देता है। जिससे कोई भी उससे बात नहीं करना पसंद करता । सभी बच्चे हंसते खेलते हैं पर माही बहुत अजीब सा बर्ताब करता है। कभी कोई बच्चा उससे बात भी करना चाहे या बैठना चाहे तो वह बिना बात के लड़ाई झगड़ा करना शुरु कर देता है।
मंजू और सोमेश कुछ कुछ समझ चुके थे कि शायद उन्होने अपने बेटे को विरासत में नफरत और गुस्से के सिवाय दिया ही क्या है। उनके पास माही की अध्यापिका की बात का कोई जबाव नहीं था पर उन्होने आश्वासन भी दिया कि अब ऐसा नहीं होगा। माही का रिज़ल्ट भी बहुत बेकार आया था। घर जाते जाते मंजू और सोमेश अपने बर्ताब के बारे में सोच रहे थे और अपनी गल्ती मान चुके थे कि माही घर के माहौल से परेशान रहता था और उसका कोमल मन हंसने खेलने के बजाय नफरत और गुस्से से भरा रहता था। उसका घर में भी मन उदास रहता था। स्कूल में भी वही बाते उसे परेशान करती थी। वो अपने ममी पापा को लेकर असहाय सा और बौखलाया सा रहता था जिसका सीधा असर उसके मासूम बचपन पर पड़ रहा था। क्योंकि जो हमें अपने घर से ममी पापा से विरासत में मिलता है उसका कुछ असर तो हमारी भावनाओं और मन पर पड़ता है।
— कामनी गुप्ता
अच्छी कहानी !
अच्छी कहानी !
धन्यवाद सर जी