गीत/नवगीत

गीत : आया रंगों का त्यौहार

आओ सारे खुशी मनाएँ
मिलकर थोड़ा हँसें-हसाएँ
मिटा के दिल की रंजिश सारी
दुश्मन को भी गले लगाएँ
कटुता में व्यतीत करें क्यों
अपने जीवन के दिन चार
ढोल-मृदंग बजाओ
कि आया रंगों का त्योहार

खूब अबीर-गुलाल उड़ाओ
अमन-चैन के फूल खिलाओ
मिले राह में जो भी तुमको
स्नेह-रंग में रंगते जाओ
जग में हो निस्वार्थ प्रेम का
चारों ओर प्रचार-प्रसार
ढोल-मृदंग बजाओ
कि आया रंगों का त्योहार

लाल, गुलाबी, काला, पीला
हरा, जामुनी, गहरा नीला
मिलकर ऐसी छटा बिखेरें
जैसे इंद्रधनुष रंगीला
मिल जाएं हम-तुम भी ऐसे
बहे भ्रातृत्व की बयार
ढोल-मृदंग बजाओ
कि आया रंगों का त्योहार

सपने पूरे हों सतरंगी
खत्म हो सारी खानाजंगी
अरि का भी सम्मान करो तुम
करो ना बात कोई बेढंगी
होली की पवित्र अग्नि में
भस्म करो सब मन के विकार
ढोल-मृदंग बजाओ
कि आया रंगों का त्योहार

— भरत मल्होत्रा

*भरत मल्होत्रा

जन्म 17 अगस्त 1970 शिक्षा स्नातक, पेशे से व्यावसायी, मूल रूप से अमृतसर, पंजाब निवासी और वर्तमान में माया नगरी मुम्बई में निवास, कृति- ‘पहले ही चर्चे हैं जमाने में’ (पहला स्वतंत्र संग्रह), विविध- देश व विदेश (कनाडा) के प्रतिष्ठित समाचार पत्र, पत्रिकाओं व कुछ साझा संग्रहों में रचनायें प्रकाशित, मुख्यतः गजल लेखन में रुचि के साथ सोशल मीडिया पर भी सक्रिय, सम्पर्क- डी-702, वृन्दावन बिल्डिंग, पवार पब्लिक स्कूल के पास, पिंसुर जिमखाना, कांदिवली (वेस्ट) मुम्बई-400067 मो. 9820145107 ईमेल- [email protected]

One thought on “गीत : आया रंगों का त्यौहार

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत अच्छा गीत !

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