गीत : आया रंगों का त्यौहार
आओ सारे खुशी मनाएँ
मिलकर थोड़ा हँसें-हसाएँ
मिटा के दिल की रंजिश सारी
दुश्मन को भी गले लगाएँ
कटुता में व्यतीत करें क्यों
अपने जीवन के दिन चार
ढोल-मृदंग बजाओ
कि आया रंगों का त्योहार
खूब अबीर-गुलाल उड़ाओ
अमन-चैन के फूल खिलाओ
मिले राह में जो भी तुमको
स्नेह-रंग में रंगते जाओ
जग में हो निस्वार्थ प्रेम का
चारों ओर प्रचार-प्रसार
ढोल-मृदंग बजाओ
कि आया रंगों का त्योहार
लाल, गुलाबी, काला, पीला
हरा, जामुनी, गहरा नीला
मिलकर ऐसी छटा बिखेरें
जैसे इंद्रधनुष रंगीला
मिल जाएं हम-तुम भी ऐसे
बहे भ्रातृत्व की बयार
ढोल-मृदंग बजाओ
कि आया रंगों का त्योहार
सपने पूरे हों सतरंगी
खत्म हो सारी खानाजंगी
अरि का भी सम्मान करो तुम
करो ना बात कोई बेढंगी
होली की पवित्र अग्नि में
भस्म करो सब मन के विकार
ढोल-मृदंग बजाओ
कि आया रंगों का त्योहार
— भरत मल्होत्रा
बहुत अच्छा गीत !