तेरा मेरा
तेरा मेरा, मेरा तेरा
क्या है इस जग में
क्यों तू ये सब कैरे
तुझको मुझको, मुझको तुझको
जाना है इक दिन
यूही छोड़कर सबको
भूल कर बाते सारी पुरानी
लिखता चल एक नई कहानी
ईर्ष्या गुस्सा और नफरत का
कर देना तू तर्पण
याद करके श्रषियो की बानी
और मुनियो का दर्शन
काम कर तू इस जग में ऐसा
बन जाए तू सदभाव निशानी
ये मन चंचल है दिवानी
झूठे स्वप्न दिखाकर कहता
सच है एक एक लफ्ज जुबानी
अनुपमा दीक्षित ” मयंक “