गीत/नवगीत

भक्ति गीत

प्रभो तुमको यादो में पाने लगा हूँ
खुद को मै खुद ही भुलाने लगा हूँ

नहीं जानता मेरी मंजिल किधर है
हर गली तेरी मूरत सजाने लगा हूँ ।।

न देखा तुझे न मंजिल पर ठहरा
न मुखड़ा दिखा मै लुभाने लगा हूँ ।।

न स्वर ही सुना न शिकवा है कोई
मगर राह तेरी गुनगुनाने लगा हूँ ।।

पुलिंदा लिए जाऊं दर है अनेको
न उठता वजन भार उठाने लगा हूँ ।।

शिफारिश न होती ढोंगी न भाता
खुशामद नही मन मिलाने लगा हूँ ।।

महातम मिश्र

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ

4 thoughts on “भक्ति गीत

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत सुन्दर !

    • महातम मिश्र

      सादर धन्यवाद आदरणीय विजय सर जी, हार्दिक आभार

  • राज किशोर मिश्र 'राज'

    वाहह लाजवाब सृजन के लिए बधाई आदरणीय

    • महातम मिश्र

      सादर धन्यवाद आदरणीय, हार्दिक आभार, रचना को आप का आशीष मिला

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