गीत : इंतज़ार
भीग रही है पलके मेरी सजन तेरी याद में,
बैठी हूँ तन्हा अकेली तेरे इंतज़ार में,
तू दूर गया तो तेरे में पास आ गयी- 2
क्या हाल है हमारा देख तेरे प्यार में,
क्या हाल है हमरा सजन तेरे प्यार में
तूने बुलाया मिलने में सब छोड़ आ रही,
लोक लाज भूली,रीति तोड़ आ रही
घर से हूँ निकली करके सिंगार में,
क्या हाल है हमारा देख तेरे प्यार में
क्या हाल है हमारा सजन तेरे प्यार में
खुद से ही खुद में बात कर रही,
तुझमे जी रही और तुझमे मर रही,
क्यों चोट लगाई तूने मेरे ऐतबार में
आया नही तू मिलने,क्यों मौसम बहार में
क्या हाल है हमारा देख तेरे प्यार में,
क्या हाल है हमारा सजन तेरे प्यार में
— नवीन श्रोत्रिय “उत्कर्ष”
बहुत खूब .
aabhaar aadarniy bhamra ji
हार्दिक आभार आदरणीय