सुबह की बेला
सुबह की बेला में,
सबको हर रोज,
नई जिन्दगी मिलती है।
चिड़ियों के आवाज़ से,
माहौल गूँज उठती है।
बच्चों के किलकारी से
घर-आंगन खिल उठता है।
धीरे-धीरे सूर्य की किरणों ने
स्वर्णिम आभा लिए
स्वर्णमय चादर फैलाये
नभ में आ रही है।
सबके शरीर में देती है
एक नई स्फूर्ति
एक नई जोश
उस रोशनी में करते हैं
लोग विचरण दिनभर
फिर साम होते ही –
स्वर्णमय चादर को
समेटने लगता है
सबको सुख की निद्रा देकर
अपने भी सो जाता है।
मन मे सुबह का इन्तजार लिए।
_ रमेश कुमार सिंह /१२-०४-२०१६