कविता

कविता : वेदना

 

बंद किताब से

सूखे फूल से

मंद – मंद ताकती

हसरतें दिलों की

कभी मजबूर कभी सिसकती कभी तड़पती

घायल सपनों का बोझ

लादे कन्धों पर

गिरते –पड़ते कदम लिए

मस्त अपनी ही धुन में ये ज़िन्दगी

है कौन सी राह करती इंतज़ार

जीवन के किस पथ पर

हर चेहरा भीड़ में

लगे मुखोटा पहने

नहीं बोलता इंसानी

जबान कोई

बने सब मतलब के सवाली

ऐसे में किताब में

समाया सूखे फूल – सा

झांकता यह दिल

मासूम सपनो को

सहलाता – बहलाता

दूर भीड़ से दूर

तन्हा बिल्कुल तन्हा

हर हाल में

मुस्कुराता आहें भरता

बेरंग मासूम दिल

………..ये अकेला !!

मीनाक्षी सुकुमारन 

मीनाक्षी सुकुमारन

नाम : श्रीमती मीनाक्षी सुकुमारन जन्मतिथि : 18 सितंबर पता : डी 214 रेल नगर प्लाट न . 1 सेक्टर 50 नॉएडा ( यू.पी) शिक्षा : एम ए ( अंग्रेज़ी) & एम ए (हिन्दी) मेरे बारे में : मुझे कविता लिखना व् पुराने गीत ,ग़ज़ल सुनना बेहद पसंद है | विभिन्न अख़बारों में व् विशेष रूप से राष्टीय सहारा ,sunday मेल में निरंतर लेख, साक्षात्कार आदि समय समय पर प्रकशित होते रहे हैं और आकाशवाणी (युववाणी ) पर भी सक्रिय रूप से अनेक कार्यक्रम प्रस्तुत करते रहे हैं | हाल ही में प्रकाशित काव्य संग्रहों .....”अपने - अपने सपने , “अपना – अपना आसमान “ “अपनी –अपनी धरती “ व् “ निर्झरिका “ में कवितायेँ प्रकाशित | अखण्ड भारत पत्रिका : रानी लक्ष्मीबाई विशेषांक में भी कविता प्रकाशित| कनाडा से प्रकाशित इ मेल पत्रिका में भी कवितायेँ प्रकाशित | हाल ही में भाषा सहोदरी द्वारा "साँझा काव्य संग्रह" में भी कवितायेँ प्रकाशित |