कविता

जब कभी मेरी बात…

जब कभी मेरी बात चलेगी
कुछ चेहरों पे हँसी खिलेगी
कुछ पलकों पर मोती होंगे
और हँसके कुछ लोग कहेंगे
आवारा हवा का झोंका था…..

जब कभी मेरी बात चलेगी
खुश्बू की हर गली महकेगी
महकते गाँव के आँगन होंगे
और झूले पन-घट के कहेंगें
आवारा हवा का झोंका था…..

जब कभी मेरी बात चलेगी
फूल खिलेंगे हवा महकेगी
चेहरों पर गुलदस्ते सजेंगे
महक कर अहसास कहेंगे
आवारा हवा का झोंका था…..

जब कभी मेरी बात चलेगी
कुछ को मेरी कमी खलेगी
संग यादों के बस पर्चे होंगे
हँसकर उन के आँसू कहेंगे
आवारा हवा का झोंका था…..

जब कभी मेरी बात चलेगी
कुछ लबों पे खामोशी होगी
कुछ न कहेंगे खामोश रहेंगे
और इनकी खामोशी कहेगी
आवारा हवा का झोंका था…..

जब कभी मेरी बात चलेगी
अंबर में कुछ नमी सी होगी
खोये – खोये से बादल होंगे
रूक- रूक कर हवा कहेगी
इक अनदेखा सा धोखा था
आवारा हवा का झोंका था…..

— विशाल नारायण

विशाल नारायण

नाम:- विशाल नारायण , पिता:- बीरेन्द्र कुमार सिंह, ग्राम:- सखुआँ, जिला:- रोहतास, बिहार सम्प्रती गोवा में पदस्थापित. विशाल नारायण वास्को गोवा. 9561266303

3 thoughts on “जब कभी मेरी बात…

  • राज किशोर मिश्र 'राज'

    वाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह लाजवाब सृजन

  • विभा रानी श्रीवास्तव

    मनमोहक

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छा गीत !

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