कोहिनूर हीरा पुरी जगन्नाथ जी की सम्पत्ति है
ऐतिहासिक दस्तावेजों के अनुसार गोलकुंडा की खान से निकला विश्व प्रसिद्ध कोहिनूर हीरा काकतीय राजाओं की सम्पत्ति हुआ करता था। अलाउद्दीन खिलजी ने इसे लूट लिया था और कालांतर में यह मुगलों से होते हुए आक्रांता नादिरशाह के पास पहुंचा। पर्सिया के नादिरशाह ने मयूर सिंहासन के साथ कोहिनूर हीरा भी लूट लिया था। नादिरशाह की मृत्यु के बाद महाराजा रणजीत सिंह ने अहमदशाह दुर्रानी को पराजित कर कोहिनूर वापस भारत लाये थे।
अपनी मृत्यु के पूर्व महाराजा रणजीतसिंह ने इच्छापत्र के जरिए इसे जगन्नाथ महाप्रभु के नाम करने की इच्छा जताई थी। लेकिन अंग्रेजों ने इस इच्छापत्र पर कोई कार्यवाही नहीं की और 1849 में एंग्लो सिख युद्ध के बाद करार के दम पर इस पर कब्जा जमा लिया था। अब मांग उठने लगी है कि मसला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन होना ऐसा पड़ाव है कि उड़ीसा राज्य सरकार कोहिनूर हीरे पर दावेदारी प्रस्तुत करे।
बीजू जनता दल के भर्तहरि मेहताब ने लोकसभा में जोरदार ढंग से उठाते हुए कहा कि 1849 में अंग्रेजों और पंजाब के सिख युद्ध में सिखों की पराजय के बाद ईस्ट इंडिया कम्पनी के गर्वनर जनरल लार्ड डलहौजी ने कोहिनूर महाराजा रणजीतसिंह के 11 वर्षीय पुत्र दिलीप सिंह से धोखे से छीनकर ब्रिटेन की महारानी विक्टोरिया को भेंट कर दिया था। श्री मेहताब ने सदन में 1849 में लार्ड डलहौजी के सचिव टी.ए. मेडोक द्वारा लिखे गये एक पांच पृष्ठों के पत्र की प्रति पेश की और उसके अन्तिम पैरा को पढ़ते हुए बताया कि महाराजा रणजीत सिंह ने 1839 में ही अपनी वसीयत में इस वेशकीमती रत्न को पुरी के जगन्नाथ मंदिर में जगन्नाथ जी को भेंट करने की बात कही थी। मगर उनकी वसीयत का यह फैसला लागू नहीं हो पाया। उन्होंने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन के वर्ष 2010 के एक बयान को भी उद्धृत किया कि अगर कोहिनूर एवं अन्य सामानों को उनके वैधानिक स्वामियों को वापस कर दिया गया तो फिर ब्रिटिश संग्रहालय खाली हो जाएगा।
श्री मेहताब ने कहा कि सनातन मान्यताओं के अनुसार कोहिनूर स्यमंतकमणि भी माना जाता है जिसे पौराणिक कथा के अनुसार महाभारत काल में जामवंत ने भगवान श्रीकृष्ण को भेंट किया था। उन्होंने कहा कि ऐसी मान्यता है कि इस मणि को कोई महिला ही धारण कर सकती है अथवा यह भगवान के पास ही रह सकती है। उन्होंने इस मणि के लिए भगवान को ही वास्तविक हकदार बताया।
पाकिस्तान की पंजाब सरकार ने लाहौर हाईकोर्ट में कहा है कि 108 कैरेट के कोहिनूर हीरे को पाकिस्तान लाना संभव नहीं हो सकेगा। याचिकाकर्ता जावेद इकबाल जाफरी ने कहा कि ब्रिटेन ने महाराजा रणजीतसिंह के पोते दिलीपसिंह से कोहिनूर हीरे को छीना था।
सन् 1997 में जब महारानी एलिजाबेथ भारत दौरे पर आयी थीं तो उनसे इस हीरे को लौटाने का आग्रह किया गया था। वर्ष 2000 में भारतीय संसद के 200 से अधिक सदस्यों ने ब्रिटिश सरकार को एक पत्र भेजकर उनसे मांग की थी कि कोहिनूर हीरा भारत को वापस लौटाया जाए। तब ब्रिटिश सरकार ने यह बहाना बनाया था कि क्योंकि इस हीरे की मलकियत पर अफगानिस्तान, पाकिस्तान और भारत दावेदारी कर रहे हैं, इसलिए इसे वापस लौटाना सम्भव नहीं है।
— पंचानन अग्रवाल
प्रिय विजय भाई जी, अति सुंदर व सटीक आलेख के लिए आभार.
यह इथासक जानकारी अच्छी लगी . अगर अँगरेज़ यह भी कहें कि दलीप सिंह ने हीरा महारानी को भेंट किया था तो तब भी यह बहाना नहीं बन सकता किओंकि उस समय दलीप सिंह बच्चा ही था और यह बात अंग्रेजों के अपने कानून के ही खिलाफ है .