दिल चाहता है
दिल चाहता है मंत्रमुग्ध फिजा देख के गीत लिखूं
तुम बिन पड़ा अधूरा आ जाओ तो मनमीत लिखूं
वसंती मस्तियों की हरियालियां पतझड में रोएंगी
मिलन विछोह की इस त्रासदी को कैसी रीत लिखूं
झुलसाती दुपहरी देख बावरे बादल दौङे भागे आएंगे
धरा गगन के इस अदभुत नेह को कैसी प्रीत लिखूं
बरखा में झूमती भीगी पत्तियां टूट गिर सङ जाएंगी
भीगी धरा में मिल बने कीचङ को कैसे नवनीत लिखूं
शीत की सिहराती वादी गुनगुनी धुप पा कर निखरेगी
घौंसलों से आती नव चहचहाटों को कैसा संगीत लिखूं
हर तरफ प्यार है,वफाएं है, उम्मीदों पे टिका जीवन है
जिस पल को जीती हुं आज भी, क्यूं उसे अतीत लिखूं
खुश है सब तो क्यूं ना हम तुम भी खुश हों ले जीवन में
अंतहीन जो अपनी कहानी, क्यूं हार लिखूं, जीत लिखूं
खुश है सब तो क्यूं ना हम तुम भी खुश हों ले जीवन में
अंतहीन जो अपनी कहानी,क्यूं हार लिखुं , जीत लिखुं ,,,,,,,,, बहुत मजेदार .
सादर धन्यवाद आपका
बहुत खूब !
बहुत खूब !
सादर धन्यवाद आदरणीय
Nice
बहुत बहुत धन्यवाद