तुम और मैं
तुम अपने दु:ख से जूझो
मैं अपने दु:ख से जूझूँ
हताश नहीं हैं हम
एक दिन तो खुशियां पाएंगे
तुम अपना ज़ोर लगाओ
मैं अपना दम भर लूँ
कमज़ोर नहीं हैं हम
एक दिन सफल हो जाएंगे
तुम मेरे आँसू पोंछो
मैं तेरे आसूँ पी लूँ
कुछ और नहीं हो तो
एक-दूजे के लिए मुस्कुराएंगे
तुम अपना दामन फैलाओ
मैं अपना आंचल बिखरा दूँ
आंचल न सही लेकिन
एक दिन मुठ्ठी तो भर लाएंगे।
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धन्यवाद
प्रिय सखी नीतू जी, अति सुंदर कविता के लिए आभार.