यें चॉद यु ही चमकना
ये चॉद आज यु ही चमकना
मेरे घर ऑगन को
आलोकित कियें रहना
था जिसका इंतजार वर्षो से
आज आना है उसी को
जिसके यादों मे मेरी रातें
तारे गिनगिन कर कटती
हर ख्वाबो में जिसकी
यादें संजोती
आज आना है उसी को
है याद हमें वो दिन जब
तेरे आने की खबर मुझे मिलती
जैसे कोई आहट पाती
झट बाहर दौडी आती
कैसे करू स्वागत
यही बार बार मै सोचती
जिसके लियें मै थाल सजाती
आज आना है उसी को
कब देखूँ उस प्यारे मूखडे को
जो चॉद सा रौशन दिखता है
ये ऑखे जिसकी बाट निहारे
ये बाहे जिसके लिये है फैल
आज आना है उसी को
निवेदिता चतुर्वेदी