कैराना और कांधला
कैराना और कांधला दोनों एक समान
खतरे में दिखती जहां एक वर्ग की जान
एक वर्ग की जान पलायन करने वाले
छोड़ दिया घर बार पड़े जब जान के लाले
कवि कहता है सत्य गया यदि आज नकारा
चूर चूर होगा अखण्ड भारत का नारा
अब तो जागो भ्रम का चश्मा आप उतारो
रहो संघटित और भविष्य खुद आज सवारों
— मनोज श्रीवास्तव