कविता

एक प्यार भरा स्पर्श

सूरज की किरणों के स्पर्श से
खारे पानी की बूंदे,
शुद्ध जल बन जाती हैं,
सावन की बूंदो से,
मिट्टी भी महक जाती है,
सीप के मुंह मे अाने से
बूंद मोती बान जाती है,
पारस के छू लेने से,
लोहे की धातु भी –
सोना बान जाती है,
मै कितना भी बुरा हूँ
तू  मुझे एक बार छू के तो देख
मै भी कुछ बन जाऊंगा
तुम मे वो शक्ति  है
जो कुदरत को हिला दे,
तेरा एक प्यार भरा अालिंगन
मुझे भी इंसान बना  दे

जय प्रकाश भाटिया

जय प्रकाश भाटिया

जय प्रकाश भाटिया जन्म दिन --१४/२/१९४९, टेक्सटाइल इंजीनियर , प्राइवेट कम्पनी में जनरल मेनेजर मो. 9855022670, 9855047845