कविता: सोचो जब हम न रहे
सोचो जब हम न रहे, तो क्या अपना रह जाएगा
रिश्ते-नाते धन-दौलत सब, यहीं धरा रह जाएगा !!
तिनका-तिनका जोड़ के, खड़ा किया ये आशियां और
कहलाने वाला हर शक्स अपना, अजनबी बन जाएगा !!
सिलसिला बातों का यूँ तो, हम में कभी रुकता नहीं
अनकहा फिर भी बहुत है, जो दिल में ही रह जाएगा !!
ग़ज़ल लिख कर कहते हैं, दिल का हाल हम दोस्तो
फिर भी बहुत है दिल में छुपा, जो साथ मेरे चला जाएगा !!
अंजु गुप्ता
बस नाम ही रह जायेगा ….बहुत सुन्दर
आप का बहुत – बहुत शुक्रिया