मुक्तक/दोहा

दोहे…

दोहे..

उर आनंद समा गया, दूर हुआ सब शोक।
मन में जब से ज्ञान का, दीप हुआ आलोक॥

मंदिर मस्जिद ढूंढकर, बीती उम्र तमाम।
अपना मन झाँका नही, जहाँ बसे श्री राम॥

तन भौतिकता में घिरा, मन माया आधीन।
सुख अनुभव कैसे करे,अंतस सत्य विहीन॥

माया की कालिख चढी, अंधकार मन घोर।
ईर्ष्या लालच द्वेष में, कहाँ प्रेम को ठौर॥

जगसुख की हो कामना, माँगो सबकी खैर।
प्रीत मिलेगी प्रीत को, मिले बैर को बैर॥

मन अनुरागी हो गया, लगे हरि संग नेह।
चंदन चंदन हो गयी, यह माटी की देह॥

जब तक मैं मन में रही, रहा नही कोई और।
मन की मैं देती नही, और किसी को ठौर॥

वो तो तेरे पास है, तुझे नही पहचान।
उसका ही तू अंश है, प्राणी इतना जान॥

बंसल जब से हो गयी, परमेश्वर से प्रीत।
यह सारी दुनिया हुई, मेरे मन की मीत॥

सतीश बंसल

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.