कविता

बूढ़ा वृक्ष

वृक्ष को देखा मैने

उसने  अपने  ऊपर बना रखी  हो
जैसे  पक्षियों की होटल
गर्मी में आसरा तलाशते राहगीर
कभी खुद को तो कभी अपने वाहनों को
धूप से बचाने की चिंता में
जैसे हो रहे हो दुबले
तपिश झेलता वृक्ष
अब हो चूका है बूढ़ा
लेकिन बूढ़ा  होना
हरेक का कर्तव्य हो जैसे
बांधी जाती मान -मन्नते
लगाए जाते है लम्बी उम्र
होने के प्रार्थना के फेरे
वृक्ष से ही आसपास होने के
लोग आज भी बताते पते
वृक्ष कुछ न कुछ हम सब को
देता ही आया है ,पर
माँगा न उसने हमसे कभी
अंतिम पड़ाव का साथी बनकर
जो खुद साथ जलकर साथ निभाता
वृक्षों  को बचाना और लगाना होगा
यदि नहीं बचाया तो
प्राणवायु भी बाजारों में बिकने लगेगी
जो कि  बूढ़ा वृक्ष आज भी  मुफ़्त में बाँट रहा
जिंदगी की सुखद छांव और सुकून की  गिफ़्ट
संजय वर्मा “दृष्टी “

*संजय वर्मा 'दृष्टि'

पूरा नाम:- संजय वर्मा "दॄष्टि " 2-पिता का नाम:- श्री शांतीलालजी वर्मा 3-वर्तमान/स्थायी पता "-125 शहीद भगत सिंग मार्ग मनावर जिला -धार ( म प्र ) 454446 4-फोन नं/वाटस एप नं/ई मेल:- 07294 233656 /9893070756 /[email protected] 5-शिक्षा/जन्म तिथि- आय टी आय / 2-5-1962 (उज्जैन ) 6-व्यवसाय:- ड़ी एम (जल संसाधन विभाग ) 7-प्रकाशन विवरण .प्रकाशन - देश -विदेश की विभिन्न पत्र -पत्रिकाओं में रचनाएँ व् समाचार पत्रों में निरंतर रचनाओं और पत्र का प्रकाशन ,प्रकाशित काव्य कृति "दरवाजे पर दस्तक " खट्टे मीठे रिश्ते उपन्यास कनाडा -अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के 65 रचनाकारों में लेखनीयता में सहभागिता भारत की और से सम्मान-2015 /अनेक साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित -संस्थाओं से सम्बद्धता ):-शब्दप्रवाह उज्जैन ,यशधारा - धार, लघूकथा संस्था जबलपुर में उप संपादक -काव्य मंच/आकाशवाणी/ पर काव्य पाठ :-शगुन काव्य मंच

2 thoughts on “बूढ़ा वृक्ष

  • लीला तिवानी

    प्रिय संजय भाई जी, अति सुंदर कविता के लिए आभार.

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत खूब !

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