”पिरामिड”
विषय –वर्षा ,श्रावण ,बाढ़, जल संचयन
1-
रे
वर्षा
बरस
सावन में
फुहार तो दे
निहार रहा हूँ
उगा कर अंकुर॥
2-
ये
नई
फसल
बिन तेरे
मुरझा न जा
चाहत न जला
लहरा दे सागर॥
3-
है
मेरी
जमीन
कोरी कोरी
जल भर ला
छलका तो ज़रा
संचयन गागर॥
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी