कविता

”पिरामिड”

विषय –वर्षा ,श्रावण ,बाढ़, जल संचयन

1-

रे

वर्षा

बरस

सावन में

फुहार तो दे

निहार रहा हूँ

उगा कर अंकुर॥

2-

ये

नई

फसल

बिन तेरे

मुरझा न जा

चाहत न जला

लहरा दे सागर॥

3-

है

मेरी

जमीन

कोरी कोरी

जल भर ला

छलका तो ज़रा

संचयन गागर॥

 

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ