कविता: खोये तुम नहीं हो… बदल से गये हो
बार -2 जिक्र करके… याद करते हैं हम तुमको
जिद है तुम्हें पाने की… मुकद्दर में तुम नहीं हो !!
मुलाकातें तो हैं होतीं… पर ख्वाबों में ही अब तो
जबसे हम हैं बहके … सम्भल से तुम गये हो !!
तकलीफ दे हैं दिल को … खामोशियाँ ये तेरीं
हमसफर तुम नहीं थे… मुसाफिर से बन गये हो !!
लाख चाहे ये दिल… अब तलाशेंगे न तुमको
क्योंकि खोये तुम नहीं हो… बदल से गये हो !!
अंजु गुप्ता