कविता : हम आज़ादी मना रहे हैं…
हम आज़ादी मना रहे हैं…
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मात्र चंद रुपये चाहिए *,
जीवन – यापन के हेतु !
पर अपनी सेलरी वो,
हजारों में बढ़ा रहे हैं
आज़ाद भारत के नेता…
आज़ादी मना रहे हैं !!
अहिल्या या द्रौपदी हो,
की गयीं सभी अपमानित !
अमानव बन देश के बेटे,
वही परम्परा निभा रहे हैं
आज़ाद भारत के हम वीर…
आज़ादी मना रहे हैं !!
भ्रष्टाचार का जाल है फैला,
जात – पात पे हम हैं लड़ते !
होता देख कर अन्याय,
लाचारी से सहे जा रहे हैं
आज़ाद भारत के हम वीर…
आज़ादी मना रहे हैं !!
कुर्बानी दे वीरों ने
दी थी हमें आज़ादी !
अधिकार चाहिए हमें सारे
कर्तव्यों से इति श्री दिखा रहे हैं
आज़ाद भारत के हम वीर…
आज़ादी मना रहे हैं !!
* 28 रुपये (सरकारी आंकड़ा )
अंजु गुप्ता
bahut badhiya kawita .
विचारपूर्ण रचना …