सच्चे अर्थों में योग क्या है ?
कई वर्षों पूर्व लोगों के मन में योग के लिए ये अवधारणा थी कि योगाभ्यास केवल उन लोगों के लिए है जो शरीर पर भस्म लगा कर रखते हैं और जिनके सिर पर जटाएं होती हैं और वे किसी गंगा के तट पर या जंगल में एक पाँव पर खड़े हो कर साधना करते हैं ! परन्तु अब योग के बारे में, आधुनिक युग में लोगों के विचार और धारणाएं बदलने लगी हैं! लोगों के मन में जागरुकता आ गयी है ! विश्व भर में हजारों युवा इस आन्दोलन से जुड़ गये हैं !
योग का अर्थ है जोड़ना ! योग सच्चे अर्थों में उच्च चेतना व विशाल ब्रह्मांडीय यथार्थ से जोड़ता है ! योग आत्मा को परमात्मा से जोड़ता है! सीधे सच्चे शब्दों में कहा जाये तो मन,शरीर और आत्मा को सुर,लय व ताल में बांधने को योग कहते हैं ! सबसे अपनेपन का भाव ही योग है ! योग हमारी अभिव्यक्ति और हमारी विचार -धारा को मुक्त बनाता है! योग मात्र शाब्दिक सिद्धांत नहीं है ! यह एक व्यवहारिक एवं पूर्णतावादी पद्धति है ! जिसके नियमित अभ्यास से हमारे जीवन में मानसिक व शारीरिक रूप में सकारात्मक परिवर्तन होता है!
एक रोगमुक्त शरीर ,व्याकुलता – मुक्त मन, अवरोध – मुक्त बुद्धि, अभिघात – मुक्त स्मृति, दुःख – मुक्त आत्मा, कम्पन – मुक्त श्वाँस एवं हिंसा – मुक्त समाज – ये सब योग द्वारा हमारे जीवन में हमे उपहार स्वरुप मिलते हैं ! योग केवल शारीरिक व्यायाम ही नहीं है ! प्राणायाम और ध्यान के बिना योग का अनुभव अधूरा है ! योग हमारे शरीर को लचीला बनाता है और मन में आत्मविश्वास व संतुष्टि के भाव उत्पन्न करता है! योग के लिए कोई बंधन नहीं होता , न जाति का ,न ही आयु का ! योग में जब हम शरीर को लयबद्ध तरीके से फैलाते हैं तो नृत्य बन जाता है, जब हम “आ ” स्वर को खींचते हैं तो संगीतमय बन जाता है और जब हम मन का विस्तार करते हैं तो ध्यान बन जाता है! और जब हम जीवन का विस्तार कर परिवार ,मित्रों ,समाज ,व देश को शामिल करते हैं तब उत्सव बन जाता है ! और इस तरह से जीवन में सामंजस्यता आ जाती है !
हम देखते हैं कि जन्म से तीन वर्ष तक का शिशु सभी योगासन बड़े आराम से कर लेता है ! उस आयु में शिशु प्राणायाम भी कर रहा होता है और वह ये सब कुछ ध्यानावस्था में करता है ! यहाँ तक कि वह चलता भी इसी अवस्था में है ! वास्तव में हम सब योग करते हुए बड़े हुए हैं ! जब योग करना बंद कर देते हैं तो शरीर अकड़ने लगता है और मन का खिलना भी बंद हो जाता है ! ” स्व ” को भूल कर अज्ञानता की ओर मुड़ने लगते हैं ! योग हमारा हमारे सत्य स्वरुप से परिचय करवाता है !
हमारे समाज में बुराइयां, चाहे वह नशे की आदत हो या अहिंसा, उसे दूर करने में योग का हमारे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है ! योग हमारे समाज को अपराध – मुक्त बनाता है ! योग से हम अपने भीतर अलग तरह का नशा व ऊर्जा प्राप्त करते हैं जो हमे सफलता की ऊँचाईयों पर पहुँचा देता है ! योग के नशे के आगे सारे नशे बेकार हैं ! यही योग की महानता है !
प्रिय सखी प्रेरणा जी, एक सटीक व सार्थक रचना के लिए शुक्रिया.
प्रिय सखी प्रेरणा जी, एक सटीक व सार्थक रचना के लिए शुक्रिया.
प्रिय सखी लीला जी, आपको लेख अच्छा लगा, इससे मेरा हौसला बढ़ा ! मेरी यही इच्छा है लोग ज्यादा से ज्यादा योग से जुड़ें और उसका फायदा उठायें ! धन्यवाद …….