गीत/नवगीत

आम आदमी खाट ले गया

साठ साल का ठाट ले गया
राज ले गया पाट ले गया
सोयेगा ना सोने देगा
आम आदमी खाट ले गया

पहले सर से ताज उतारा
फिर ज़मीन से पैर उखाड़े
शायद अब तय हुआ यही है
नहीं चलेंगे अब रजवाड़े

थोड़ी सी जो नाक बची थी
इसी बहाने काट ले गया

सोयेगा ना सोने देगा
आम आदमी खाट ले गया

गुड़ गन्ना का पता नहीं है
बातें हैं कलकत्ता की
सीधे सीधे क्यों ना कहते
राह चाहिए सत्ता की

इज़्ज़त का कर दिया कचूमर
करके बारहबाट ले गया

सोयेगा ना सोने देगा
आम आदमी खाट ले गया

अंदर सोने की थाली है
तरह तरह का मेवा है
छप्पन भोग सजे हैं भीतर
बाहर करे कलेवा है

राजमहल की पोल खुल गयी
रघुवा तोड़ कपाट ले गया

सोयेगा ना सोने देगा
आम आदमी खाट ले गया

क्यों अभाव की सुने कहानी
पात्र स्वयं जो किस्से का
साठ साल में मिला नहीं क्यों
जो था उसके हिस्से का

अब झुनझुना तुम्हारे हिस्से
अपने हक़ की हाट ले गया

सोयेगा ना सोने देगा
आम आदमी खाट ले गया

समझ सको तो इसको समझो
लूट नहीं संकेत हुआ है
साठ साल की राजनीति में
यही देश के साथ हुआ है

घोटालों की जड़ कांधे पे
रख के मुर्दाघाट ले गया

सोयेगा ना सोने देगा
आम आदमी खाट ले गया
          :©प्रवीण श्रीवास्तव ‘प्रसून’

प्रवीण श्रीवास्तव 'प्रसून'

नाम-प्रवीण श्रीवास्तव 'प्रसून' जन्मतिथि-08/03/1983 पता- ग्राम सनगाँव पोस्ट बहरामपुर फतेहपुर उत्तर प्रदेश पिन 212622 शिक्षा- स्नातक (जीव विज्ञान) सम्प्रति- टेक्निकल इंचार्ज (एस एन एच ब्लड बैंक फतेहपुर उत्तर प्रदेश लेखन विधा- गीत, ग़ज़ल, लघुकथा, दोहे, हाइकु, इत्यादि। प्रकाशन: कई सहयोगी संकलनों एवं पत्र पत्रिकाओ में। सम्बद्धता: कोषाध्यक्ष अन्वेषी साहित्य संस्थान गतिविधि: विभिन्न मंचों से काव्यपाठ मोबाइल नम्बर एवम् व्हाट्सअप नम्बर: 8896865866 ईमेल : [email protected]

2 thoughts on “आम आदमी खाट ले गया

  • विजय कुमार सिंघल

    वाह वाह ! बहुत खूब !

  • जितेन्द्र तायल

    बहुत अच्छी कविता !

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