गीतिका/ग़ज़ल

खुशवार दीवाली/ग़ज़ल

ज्योति-दीपक सौख्य का उपहार दीवाली।
बाँध लाई गाँठ में फिर प्यार दीवाली।

आस के आखर उभर आए हवाओं में
कर रही धन-देवी का सत्कार दीवाली।

बाँध वंदनवार देहरी अल्पना रचकर
शोभती हर द्वार पर शुभकार दीवाली।

पीर हर, घर-घर सजाती धीर-बाती संग
कोने-कोने इक दिया क्रमवार दीवाली।

जीतकर मावस पटाखे छोड़ हर्षित हो
सत्य की करती तुमुल जयकार दीवाली।

देह से कितनी हों लंबी दूरियाँ चाहे
जोड़ देती नेह के हिय तार दीवाली।

मेट मन से मैल, मंगल भाव के भूषण
सौंपती है विश्व को, हर बार दीवाली।

पूज लक्ष्मी मातु को मंगल सुरों के संग
जग मनाता ‘कल्पना’ खुशवार दीवाली।

कल्पना रामानी

*कल्पना रामानी

परिचय- नाम-कल्पना रामानी जन्म तिथि-६ जून १९५१ जन्म-स्थान उज्जैन (मध्य प्रदेश) वर्तमान निवास-नवी मुंबई शिक्षा-हाई स्कूल आत्म कथ्य- औपचारिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद मेरे साहित्य प्रेम ने निरंतर पढ़ते रहने के अभ्यास में रखा। परिवार की देखभाल के व्यस्त समय से मुक्ति पाकर मेरा साहित्य प्रेम लेखन की ओर मुड़ा और कंप्यूटर से जुड़ने के बाद मेरी काव्य कला को देश विदेश में पहचान और सराहना मिली । मेरी गीत, गजल, दोहे कुण्डलिया आदि छंद-रचनाओं में विशेष रुचि है और रचनाएँ पत्र पत्रिकाओं और अंतर्जाल पर प्रकाशित होती रहती हैं। वर्तमान में वेब की प्रतिष्ठित पत्रिका ‘अभिव्यक्ति-अनुभूति’ की उप संपादक। प्रकाशित कृतियाँ- नवगीत संग्रह “हौसलों के पंख”।(पूर्णिमा जी द्वारा नवांकुर पुरस्कार व सम्मान प्राप्त) एक गज़ल तथा गीत-नवगीत संग्रह प्रकाशनाधीन। ईमेल- [email protected]