“माँ वाग्देवी” की वन्दना ( घनाक्षरी छन्द )
“माँ वाग्देवी” की वन्दना ( घनाक्षरी छन्द )
शारदे! वाणी को ओज मिले और ,
शक्ति मिले मन को मनभावन ।
शान्ति बसे स्रष्टि मेँ तुष्टि से ,
पूरित हो सब जीवोँ का जीवन ।।
तेरे गुणोँ का गान करूँ ,
बरसे शुचि देश मेँ नेह का सावन ।
सब संवेदन से संयुक्त होँ ,
सुन्दर सदन हो शान्त सुहावन ।।
. . . . . . राममिलन दीक्षित ‘आभास‘