दुख होता है !
सेना के काम को यहां सारा देश दिल से सलाम कर रहा है और सराह रहा है, वहीं दुख होता है जब देश के कुछ ज़िम्मेदार लोग जो ऊंचे पद पर है या नहीं भी हैं इस तरह की सियासत कर रहे हैं। जब सवाल देश की आन शान का हो इस तरह की बातें और सवाल सुन कर देख कर शायद हर भारतवासी का दिल परेशान हो रहा होगा। देश के दुशमन से लड़ना तो आसान है उनकी कड़वी बाते और शब्द वाण तो कम चुभते हैं क्योंकि हर देशवासी अपने वतन के प्रति वफादार होता है पर जब अपने ही वतन से पहले निजि स्वार्थ और सत्ता आड़े आ जाए।तो कौन अपना है और कौन पराया यह तय करना भी मुशकिल सा लगता है। कुछ दिनों से सर्जिकल स्ट्राइक पर जिस तरह से देश में तरह तरह के ब्यान आ रहे हैं सुन कर दुख होता है कि देश की सुरक्षा को लेकर भी एक साथ होने के वजाय अपनेस्वार्थ की खातिर उल्टी सीधि टिप्पणियां री जा रही हैं। ऐसीबाते सुनकर उनकी असलियत ही आम जनता पर उजागर हो रही है। देश के हित में उठाए जा रहे कदमों पर भी सियासत और मतभेद। कम से कम इस नाज़ुक मोड़ पर तो एक स्वर में कह सकते है कि देश की सुरक्षा में सब साथ हैं। हम सब सेना के साथ हैं तो सेना का भी कितना मनोबल बड़ेगा। हर एक जन में देश प्रेम का जज़्बा उमड़ेगा। अपनी सोच को अपने हर कदम को हर काम को अगर निजि स्वार्थ से ऊपर उठकर पहले देश के हित का सोचेंगे तो शायद हमारे देश की मिसाल और तस्वीर ही कुछ और हो। विश्व में आलोचना का केंद्र न बन कर एक अच्छी मिसाल बन कर सामने आए। कोई ऊंगली न उठा सके फिर हमारे देश पर कि पहले अपनो को तो संभालिए वो ही आपके खिलाफ हैं तो हमें क्यों बाते सुनाते हो।
कामनी गुप्ता***
जम्मू !